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ठूंस दो उसे जेल में ,चिल्लाता बहुत है राष्ट्र राष्

ठूंस दो उसे जेल में ,चिल्लाता बहुत है
राष्ट्र राष्ट्र की एक ही धुन गाता बहुत है
देखो तो हिम्मत उसकी, पालघर पालघर करता है
दो साधू ही तो थे, मार दिए गये , उनकी चर्चा कौन करता है?

एक छोटे मोटे अभिनेता को राष्ट्रीय खबर बनाता है
कितनी बेअदबी से साहेबों को चर्चा में ले आता हैं
हमसे सीखो हर जुर्म में जाति जाति करना,
पहले धर्म देखना, फिर रूदाली प्रलाप करना।

तुम्हें क्या लगा, तुम्हारे शोर से यहां सब जग जाएंगे?
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गिनती में तुमको भी लाएंगे
तुम राष्ट्र की, हिन्दू की, साधू की बात करते हो,
तुम को अपनी बिरादरी में वो शामिल नहीं कर पाएंगे।

(कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) ठूंस दो उसे जेल में ,चिल्लाता बहुत है
राष्ट्र राष्ट्र की एक ही धुन गाता बहुत है
देखो तो हिम्मत उसकी, पालघर पालघर करता है
दो साधू ही तो थे, मार दिए गये , उनकी चर्चा कौन करता है?
एक छोटे मोटे अभिनेता को राष्ट्रीय खबर बनाता है
कितनी बेअदबी से साहेबों को चर्चा में ले आता हैं
हमसे सीखो हर जुर्म में जाति जाति करना,
पहले धर्म देखना, फिर रूदाली प्रलाप करना।
ठूंस दो उसे जेल में ,चिल्लाता बहुत है
राष्ट्र राष्ट्र की एक ही धुन गाता बहुत है
देखो तो हिम्मत उसकी, पालघर पालघर करता है
दो साधू ही तो थे, मार दिए गये , उनकी चर्चा कौन करता है?

एक छोटे मोटे अभिनेता को राष्ट्रीय खबर बनाता है
कितनी बेअदबी से साहेबों को चर्चा में ले आता हैं
हमसे सीखो हर जुर्म में जाति जाति करना,
पहले धर्म देखना, फिर रूदाली प्रलाप करना।

तुम्हें क्या लगा, तुम्हारे शोर से यहां सब जग जाएंगे?
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गिनती में तुमको भी लाएंगे
तुम राष्ट्र की, हिन्दू की, साधू की बात करते हो,
तुम को अपनी बिरादरी में वो शामिल नहीं कर पाएंगे।

(कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) ठूंस दो उसे जेल में ,चिल्लाता बहुत है
राष्ट्र राष्ट्र की एक ही धुन गाता बहुत है
देखो तो हिम्मत उसकी, पालघर पालघर करता है
दो साधू ही तो थे, मार दिए गये , उनकी चर्चा कौन करता है?
एक छोटे मोटे अभिनेता को राष्ट्रीय खबर बनाता है
कितनी बेअदबी से साहेबों को चर्चा में ले आता हैं
हमसे सीखो हर जुर्म में जाति जाति करना,
पहले धर्म देखना, फिर रूदाली प्रलाप करना।