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सियासत घोल चुकी ज़हर यहां की आब ओ हवा में शुक्र है

सियासत घोल चुकी ज़हर यहां की आब ओ हवा में
शुक्र है कुंवे का पानी यहां अब तक मीठा निकलता है Musings - 20/19/19
सियासत घोल चुकी ज़हर यहां की आब ओ हवा में
शुक्र है कुंवे का पानी यहां अब तक मीठा निकलता है Musings - 20/19/19