मासूमी भी परमानन्द का दूसरा नाम है, बड़े हो जाना क्या खुद सज़ा से कम है! कशमकशों को सुलझा न हर वक्त ऐ दोस्त, नादानियों में भी उम्र का पता नहीं चलता।। Rest Zone 'लेखन संगी' #restzone #rztask302 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with Sangeeta Patidar