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//गलती// गरिमा अपने सामने

                        //गलती//

गरिमा अपने सामने बाली बर्थ पर बैठी लड़की के हाव भाव बड़ी देर से देख रही थी। जब वो ट्रेन में चढ़ी तो ऐसा लगा जैसे पहली बार अकेली ट्रेन में बैठी हो और तब से वो अपने मोबाइल पर बार बार किसी का नंबर मिला रही थी । पर शायद नंबर लग नहीं रहा था। कभी वो परेशानी से बाहर देखने लग जाती थी।
-कहां जा रही हो,,,,गरिमा ने उससे पूछ ही लिया।

                        (  शेष अनुशीर्षक में)
 गरिमा अपने सामने बाली बर्थ पर बैठी लड़की के हाव भाव बड़ी देर से देख रही थी। जब वो ट्रेन में चढ़ी तो ऐसा लगा जैसे पहली बार अकेली ट्रेन में बैठी हो और तब से वो अपने मोबाइल पर बार बार किसी का नंबर मिला रही थी । पर शायद नंबर लग नहीं रहा था। कभी वो परेशानी से बाहर देखने लग जाती थी।
-कहां जा रही हो,,,,गरिमा ने उससे पूछ ही लिया।
-मुंबई,,,,इतना बोल कर उसने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।मानो वो बात नहीं करना चाहती हो।
-अकेली,,,,,गरिमा ने फिर भी पूछ ही लिया।
-जी,,,,बोल कर उसने आंखे बंद कर लीं।
उसे देख के गरिमा को अपनी दस साल पहले की हुई गलती न जाने क्यों याद आ रही थी।जब वो राकेश के कहने पर घर से भाग आई थी ।रात की ट्रेन से उनको मुंबई जाना था ।ट्रेन रेलवे स्टेशन पर आ कर खड़ी हो गई लेकिन राकेश का कोई पता नहीं था ।वो पागलों की तरह सारा दिन उसका इंतजार करती रही थी।फोन भी नहीं उठा रहा था वो। तभी उसका एक दोस्त उसको रेलवे स्टेशन पर मिला ।उसने बताया कि ड्रग्स का धंधा करने के इल्जाम में पुलिस उसे पकड़ के ले गई है।उसके पैरों तले से तो जमीन खिसक गई । ये सुनकर उसने सोचा वापिस घर लौट जाए और लौटी भी लेकिन घर के बाहर भीड़ को बोलते सुना ,,,,,
-ऐसी औलाद किसी को न दे भगवान ,,,,,अपने बाप को खा गई। रो भी नहीं पाई थी वो अपने पापा की मौत पर।वापिस रेलवे स्टेशन पहुंची और अगली ट्रेन से मुंबई चली आई थी। पढ़ी लिखी तो थी किसी तरह नौकरी मिली 
तो आज अपना गुजारा कर रही थी।ऑफिस के काम से ही अहमदाबाद गई थी ।
                        //गलती//

गरिमा अपने सामने बाली बर्थ पर बैठी लड़की के हाव भाव बड़ी देर से देख रही थी। जब वो ट्रेन में चढ़ी तो ऐसा लगा जैसे पहली बार अकेली ट्रेन में बैठी हो और तब से वो अपने मोबाइल पर बार बार किसी का नंबर मिला रही थी । पर शायद नंबर लग नहीं रहा था। कभी वो परेशानी से बाहर देखने लग जाती थी।
-कहां जा रही हो,,,,गरिमा ने उससे पूछ ही लिया।

                        (  शेष अनुशीर्षक में)
 गरिमा अपने सामने बाली बर्थ पर बैठी लड़की के हाव भाव बड़ी देर से देख रही थी। जब वो ट्रेन में चढ़ी तो ऐसा लगा जैसे पहली बार अकेली ट्रेन में बैठी हो और तब से वो अपने मोबाइल पर बार बार किसी का नंबर मिला रही थी । पर शायद नंबर लग नहीं रहा था। कभी वो परेशानी से बाहर देखने लग जाती थी।
-कहां जा रही हो,,,,गरिमा ने उससे पूछ ही लिया।
-मुंबई,,,,इतना बोल कर उसने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।मानो वो बात नहीं करना चाहती हो।
-अकेली,,,,,गरिमा ने फिर भी पूछ ही लिया।
-जी,,,,बोल कर उसने आंखे बंद कर लीं।
उसे देख के गरिमा को अपनी दस साल पहले की हुई गलती न जाने क्यों याद आ रही थी।जब वो राकेश के कहने पर घर से भाग आई थी ।रात की ट्रेन से उनको मुंबई जाना था ।ट्रेन रेलवे स्टेशन पर आ कर खड़ी हो गई लेकिन राकेश का कोई पता नहीं था ।वो पागलों की तरह सारा दिन उसका इंतजार करती रही थी।फोन भी नहीं उठा रहा था वो। तभी उसका एक दोस्त उसको रेलवे स्टेशन पर मिला ।उसने बताया कि ड्रग्स का धंधा करने के इल्जाम में पुलिस उसे पकड़ के ले गई है।उसके पैरों तले से तो जमीन खिसक गई । ये सुनकर उसने सोचा वापिस घर लौट जाए और लौटी भी लेकिन घर के बाहर भीड़ को बोलते सुना ,,,,,
-ऐसी औलाद किसी को न दे भगवान ,,,,,अपने बाप को खा गई। रो भी नहीं पाई थी वो अपने पापा की मौत पर।वापिस रेलवे स्टेशन पहुंची और अगली ट्रेन से मुंबई चली आई थी। पढ़ी लिखी तो थी किसी तरह नौकरी मिली 
तो आज अपना गुजारा कर रही थी।ऑफिस के काम से ही अहमदाबाद गई थी ।
seemakatoch7627

Seema Katoch

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