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मन नैनों में नीर होत है, जब मन मे पीर होय, नैनों क

मन नैनों में नीर होत है, जब मन मे पीर होय,
नैनों को भाषा पढ़े सबन, मन को समझे ना कोय ।।

मन कभी मयूर है, मन ये दादुर होय ,          
मन ये कभी मौन नहीं, मन मेंकोलाहल होय ।।। कोलाहल
मन नैनों में नीर होत है, जब मन मे पीर होय,
नैनों को भाषा पढ़े सबन, मन को समझे ना कोय ।।

मन कभी मयूर है, मन ये दादुर होय ,          
मन ये कभी मौन नहीं, मन मेंकोलाहल होय ।।। कोलाहल