मैं समा लूँ खुद में ऐसे कि कोई दर्द तेरा, ना रहे तुझ में चाहे तू कितना भी, नजरअंदाज़ करे हमें प्यार अब भी कहीं ना कहीं, बाकी है हममें सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 आपके अल्फ़ाज़ शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं 💗 पंक्तियों की बाध्यता नहीं है. 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें