नसीब मानता कहा है.... दे दी अगर मुझे ज़हनत तेरी खुदाई की जो मेरे यार मै मान लू तुझे अपना खुदा भी पर खुदा भी मुझे अपना मानता कहा है मै हर सफर मे साथ दू या नही तू दे अगर मुझे एक मोहलत तो तेरे सफर मे हटा दू हर दर्द को तुझे मान के अपना रहबरा पर दर्द भी मुझे कहारता कहा है..... मै अच्छा साथी न बन पाया ... पर तू अगर दे बस एक जमानत तेरी नजरो से हमेशा के लिए ओ मेरी जान मै रहनुमा हो जाऊ पर ये मन जमानत की भाषा को जानता कहा है तू खुशमिज़ाज रहे हर पल..हर घड़ी अगर तू दे मुझे एक ही रिवायत... मै दू ठुकरा जमाने को .. फिर भी तू मेरा न होगा बदगुमान है मेरी किस्मत की लकीरे मै लड़ भी लू खुदा से फिर भी हारूंगी ये नसीब है मेरा ...मानता कहा है.... #नसीब #मानता #नही