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पाँव में बांध ली है आवारगी है मंज़िल-ए-सफ़र की तला

पाँव में बांध ली है आवारगी
है मंज़िल-ए-सफ़र की तलाश

तज रहे हैं ज़माना जिसके लिए
है रूह के हमसफ़र की तलाश

कोई क्या मदद कर पायेगा 
अब सहन नहीं ये अंदर की तलाश
 कुछ लोग इतना बच-बचकर जीते हैं कि
 जि़ंदगी उन्हें छू भी नहीं पाती।
 उनके पास असफल प्रेम की कोई कहानी नहीं होती।
 किसी के छूट जाने का मलाल नहीं होता। 
हर दम कचोटने वाली कोई ख्वाहिश नहीं होती। 
किसी से इतना गुस्सा भी नहीं कि 
ऊपरवाले से एक कत्ल की इजाज़त मांग सकें। 
किसी से इतना मोह भी नहीं कि
पाँव में बांध ली है आवारगी
है मंज़िल-ए-सफ़र की तलाश

तज रहे हैं ज़माना जिसके लिए
है रूह के हमसफ़र की तलाश

कोई क्या मदद कर पायेगा 
अब सहन नहीं ये अंदर की तलाश
 कुछ लोग इतना बच-बचकर जीते हैं कि
 जि़ंदगी उन्हें छू भी नहीं पाती।
 उनके पास असफल प्रेम की कोई कहानी नहीं होती।
 किसी के छूट जाने का मलाल नहीं होता। 
हर दम कचोटने वाली कोई ख्वाहिश नहीं होती। 
किसी से इतना गुस्सा भी नहीं कि 
ऊपरवाले से एक कत्ल की इजाज़त मांग सकें। 
किसी से इतना मोह भी नहीं कि

कुछ लोग इतना बच-बचकर जीते हैं कि जि़ंदगी उन्हें छू भी नहीं पाती। उनके पास असफल प्रेम की कोई कहानी नहीं होती। किसी के छूट जाने का मलाल नहीं होता। हर दम कचोटने वाली कोई ख्वाहिश नहीं होती। किसी से इतना गुस्सा भी नहीं कि ऊपरवाले से एक कत्ल की इजाज़त मांग सकें। किसी से इतना मोह भी नहीं कि