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हमने देखा तीरे होठों पे उनके तबस्सुम का गुमां है,

हमने देखा तीरे होठों पे उनके तबस्सुम का गुमां है,
निगाहों में शरारत है शक्कर सी जुबां है,
मेरे पास आने पे नज़ाकत से उठाई जो नज़र उसने,
हमने देखा उनकी आंखो में बसता वो खुदा है,
उनकी पायल की खनक ऊपर से हसीं लिबास,
बदन की खुश्बू ऐसी कि तितलियां भी फिदा है,
उसे पाने से मिल जायेगी हर मंजिल मुसाफ़िर को,
उसे पाने की खुशी हर बात से जुदा है,
हमने देखा तीरे होठों पे उनके तबस्सुम का गुमां है,
निगाहों में शरारत है शक्कर सी जुबां है।।

©Vinay Rajput
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