जो लोग मुझपर कल तक ऊँगली उठा रहे थे. आज मैंने उनके कारनामें देखे है. जो सीता जैसे पवित्र बताते थे अपने आप को. मैंने उनके भी चरित्र देखे है... हर रोज एक नये चेहरे की तलाश रहती जिनको. आज उनकी भी चालाकी सरेयाम देखी है. बस आत्मा बच गयी है उनकी. और उनकी इज़्ज़त बाजार मे बिकते सरेयाम देखी है... !! इज़त का पंचनामा 😪😪