तुम्हारी इन हवाहवाई बातों से ना भरेगा... चाहत थी तुम्हारी हम सब नजरंदाज करते गए.. तुम क्या समझ बैठे जो मन में आया बिना कुछ सोचे समझें ही कह गए.. माना तुम्हें आधुनिकता ज्यादा पसंद है हूं गांव से पर गवार नही.. मखमली बाते करना ना आती मुझे तुमने इसे हमारी बेरुखी समझ हमारे चरित्र पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए.. ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।