याद आयी वो सारी यादें बचपन की, जब उम्र हो गयी पचपन की | वो दोस्तों के साथ मिलकर मस्ती, पढ़ रहे थे सारे दोस्त जबर्दस्ती | जब होने लगे सारे दोस्त बड़े, समझ आया हम भी हो अपने पैर पर खड़े | ऐसे करते करते हम में दूरियां बढ़ गयीं, सबकी अपनी अपनी मजबूरियां बढ़ गयीं | हमको याद भी नहीं की हम कब थे मिले, शायद ही अब बागों में वो मुरझाए फूल खिले| अगले जन्म हम फिर से मिलेंगे, मिलते ही तुम सबसे कहेंगे | साथ ना छोड़ना कभी मेरे यार, दोस्ती रखना ऐसे ही बरकरार | ..... ... ZAK #bachpan #ki #yadein #nojoto #shayri #ZAK