सुख दुख कि नदी अलौकिक , आनन्दमय चित्त को ढूंढे । कहां से आई ऐ सुन्दर नारी , दिखने मे तू अतिशय प्यारी । देखकर तुझको मन हरसाएं, पाकर तुझको हृदय महकाएं । दिखती सारी दुनिया से न्यारी , सबके तुम जीवन की क्यारी । तुझसे सुबह तुझी से शाम , तू ही सृष्टि की जननी , तुझसे ही जगत कल्याण ।। प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "