रोका नहीं जा सकता है श्रमिकों का पलायन शीर्षक से लेखक अपने आलेख में भारत झुनझुनवाला ने लिखा है कि आने वाले समय में केवल देश के भीतर ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी श्रमिकों का कल्याण और बढ़ेगा इस तरह लेखक ने श्रमिकों के पलायन को आवश्यक विकास के लिए जरूरी और एवं आर्थिक उन्नति में सहयोग माना है इसी क्रम में लेखक ने एक महत्वपूर्ण पहलू की अनदेखी करती है जब कोई श्रमिक घर छोड़कर दूसरे राज्य पर प्रदेश जाता है तो अपने पीछे अपने मां-बाप पत्नी और बच्चों को छोड़ जाता है धीरे-धीरे उसकी पत्नी और कच्ची उसके पास चले जाते हैं घर पर रह जाते हैं अकेले बूढ़े उनके परिवार के साथ रहना कितना जरूरी है हर कोई समझ सकता है वैसे भी आज देशों में श्रमिकों के पलायन पर गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि कम से कम लोगों की रोजी रोटी के लिए पलायन करना पड़े इसके बावजूद इन्हें पलायन करना है पड़े उसे प्रवासी श्रमिकों के अपने घर जाने के लिए समय-समय पर पर्याप्त आवश्यक अन्य अतिथि द्वारा बिना किसी वेतन कटौती के मिलना चाहिए इसके अलावा नियुक्ति को संबोधित श्रमिकों के वेतन या मजदूरी में से एक निश्चित राशि की कटौती पर उस पर पैसे की उसके मां-बाप खाते में सीधे डालना चाहिए ©Ek villain #प्रवासी श्रमिकों का दर्द समझे सरकार #Drown