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"दीवारें" सूना-सूना सा घर है,सूनी-सूनी सी है,दीवार

"दीवारें"
सूना-सूना सा घर है,सूनी-सूनी सी है,दीवारें
ढूंढ रही है,खोए हुए,अपनों को ये चारदीवारे
छद्म परिवेश ने मिटाये,दीवारों के चांद-सितारे
अब न लेते,कोई घर की चारदीवारों के सहारे
सब लोग मशगूल है,बस इस मोबाइल में प्यारे
दीवारें बतियाती,कहां खो गये,अंधेरे में मेरे साये
दीवारों पर नही दिखती अब कोई भी लकीर,
सब लोग आजकल हो गए,घर में ही फकीर,
दीवारे से मिटे,अपनत्व बतानेवाले धब्बे सारे
सूना-सूना सा घर है,सूनी-सूनी सी है,दीवारें
चुप है,आज सूनी दीवारों के वो सारे जयकारे
जो लगाते थे,बाल गोपाल परिवार के हमारे
याद आते ही पुरानी यादें,हृदय में चुभते कांटे
हम कितने खेलते थे,पहले दीवारों के सहारे
आज घर में,चुपचाप अकेले कहरा रही,दीवारें
उन्हें देखकर यूं ऐसा लगता,जैसे रो देगी,दीवारें
पुरानी टूटी दीवारे देख,दिल मे चल रही,तलवारें
आओ दीवारों पर फिर लिखे,हम प्यार भरे,नारे
अपनों का साथ पा,फिर से खिली मुरझाई,दीवारें
जरा सा प्यार से आप पुराने घर की दीवारें निहारे
सच कह रहा हूँ,वो आपको देगी पिता तुल्य सहारे
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #Gate/दीवारें
"दीवारें"
सूना-सूना सा घर है,सूनी-सूनी सी है,दीवारें
ढूंढ रही है,खोए हुए,अपनों को ये चारदीवारे
छद्म परिवेश ने मिटाये,दीवारों के चांद-सितारे
अब न लेते,कोई घर की चारदीवारों के सहारे
सब लोग मशगूल है,बस इस मोबाइल में प्यारे
दीवारें बतियाती,कहां खो गये,अंधेरे में मेरे साये
दीवारों पर नही दिखती अब कोई भी लकीर,
सब लोग आजकल हो गए,घर में ही फकीर,
दीवारे से मिटे,अपनत्व बतानेवाले धब्बे सारे
सूना-सूना सा घर है,सूनी-सूनी सी है,दीवारें
चुप है,आज सूनी दीवारों के वो सारे जयकारे
जो लगाते थे,बाल गोपाल परिवार के हमारे
याद आते ही पुरानी यादें,हृदय में चुभते कांटे
हम कितने खेलते थे,पहले दीवारों के सहारे
आज घर में,चुपचाप अकेले कहरा रही,दीवारें
उन्हें देखकर यूं ऐसा लगता,जैसे रो देगी,दीवारें
पुरानी टूटी दीवारे देख,दिल मे चल रही,तलवारें
आओ दीवारों पर फिर लिखे,हम प्यार भरे,नारे
अपनों का साथ पा,फिर से खिली मुरझाई,दीवारें
जरा सा प्यार से आप पुराने घर की दीवारें निहारे
सच कह रहा हूँ,वो आपको देगी पिता तुल्य सहारे
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #Gate/दीवारें