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द्रोपदी का दोष द्रोपदी माफ करना, पर तुम पर बहुत

द्रोपदी का दोष


द्रोपदी माफ करना,
पर तुम पर बहुत रोष है|
आज यह सब जो हो रहा है,
कहीं ना कहीं यह तुम्हारा भी दोष है||

क्यों चुप रही तुम,
जब तुम्हें पांच भाइयों में बांट दिया|
क्यों चुप रही तुम,
जब तुम्हारे  आत्मसम्मान  का आघात  किया||

तब भी क्यों मौन थी तुम द्रोपदी,
जब वैश्या तुम्हें पुकारा गया,
तब भी क्यों मौन थी तुम,
जब पवित्रता को तुम्हारी ललकारा गया||

क्यों चुप रही तुम द्रोपदी,
जब धर्मराज ने तुम्हें दांव पर लगा दिया|
तुम पर तुम्हारा ही हक नहीं है,
सबको यह बता दिया||

मर्यादा में तब भी क्यों बंधी रही,
जब केश पकड़ खींचे दुशासन ने| 
क्यों नहीं तोड़ ली तुमने मर्यादा अपनी, 
जब आँख मूंद ली सत्ता और शासन ने||

क्यों वार नहीं किया तुमने द्रोपदी,
जब दुर्योधन ने तुम्हें जंघा पर बैठाने का आदेश दिया|
क्यों प्रहार नहीं किया तुमने द्रोपदी,
जब भरी सभा में अपनों ने ही तुम्हारा अपमान किया||

रोती बिलखती चुप क्यों रही तुम, 
जब निर्वस्त्र तुम्हें करना चाहा|
पांडव कुल की कुलवधू को,
दासी का दर्जा देकर अपना कहा||
 
हाथ जोड़ क्यों खड़ी रही तुम, 
कृष्ण के इंतजार में|
आख़िर सर क्यों नहीं काट दिए इनके,
तुम्हारे  प्रहार ने ||

केश खोल, प्रतिज्ञा लेकर,
क्यों सालों साल जलती रही प्रतिशोध की आग में|
उसी क्षण मारकर इन्हें,
क्यों नहीं मिटा दिए समाज के दाग यह||
 
तुम्हारी मर्यादा की यह बातें द्रोपदी,
हमें आज भी सिखाई जाती है| 
और कोई आँख उठा कर अगर हम को देखें,
तो हमारी ही आँख झुकाई जाती है||
तो हमारी ही आँख झुकाई जाती है||

                  - ओजस्वनी शर्मा
                     "मेरे अल्फ़ाज़" हाथरस केस, बलरामपुर केस  और रोजाना  न जाने कितने बलात्कार के केस सामने आ रहे हैं, इसी स्थिति देखते हुए मैंने एक कविता लिखी है जिसको मैंने "द्रौपदी चीरहरण" के प्रकरण से जोड़ा है| 

उस समय जो भी हुआ था उससे यह बताया गया था कि जो कोई भी औरत की मर्यादा को मिटाने की कोशिश करेगा उसका अंत निश्चित है|
पर यह सब हम कहा समझेंगे, हमें तो यह सिखाया गया कि तुम औरत हो अगर किसी ने तुम्हें सब कुछ गलत किया तो तुम उसका प्रतिशोध मत लो, बा की लेंगे तुम अपनी मर्यादा में रहो, इंतजार करो, तुम जाकर किसी को कुछ मत करो|
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#Rape #HathrasRapeCase #Balrampurrapecase #savegirl #saveus
द्रोपदी का दोष


द्रोपदी माफ करना,
पर तुम पर बहुत रोष है|
आज यह सब जो हो रहा है,
कहीं ना कहीं यह तुम्हारा भी दोष है||

क्यों चुप रही तुम,
जब तुम्हें पांच भाइयों में बांट दिया|
क्यों चुप रही तुम,
जब तुम्हारे  आत्मसम्मान  का आघात  किया||

तब भी क्यों मौन थी तुम द्रोपदी,
जब वैश्या तुम्हें पुकारा गया,
तब भी क्यों मौन थी तुम,
जब पवित्रता को तुम्हारी ललकारा गया||

क्यों चुप रही तुम द्रोपदी,
जब धर्मराज ने तुम्हें दांव पर लगा दिया|
तुम पर तुम्हारा ही हक नहीं है,
सबको यह बता दिया||

मर्यादा में तब भी क्यों बंधी रही,
जब केश पकड़ खींचे दुशासन ने| 
क्यों नहीं तोड़ ली तुमने मर्यादा अपनी, 
जब आँख मूंद ली सत्ता और शासन ने||

क्यों वार नहीं किया तुमने द्रोपदी,
जब दुर्योधन ने तुम्हें जंघा पर बैठाने का आदेश दिया|
क्यों प्रहार नहीं किया तुमने द्रोपदी,
जब भरी सभा में अपनों ने ही तुम्हारा अपमान किया||

रोती बिलखती चुप क्यों रही तुम, 
जब निर्वस्त्र तुम्हें करना चाहा|
पांडव कुल की कुलवधू को,
दासी का दर्जा देकर अपना कहा||
 
हाथ जोड़ क्यों खड़ी रही तुम, 
कृष्ण के इंतजार में|
आख़िर सर क्यों नहीं काट दिए इनके,
तुम्हारे  प्रहार ने ||

केश खोल, प्रतिज्ञा लेकर,
क्यों सालों साल जलती रही प्रतिशोध की आग में|
उसी क्षण मारकर इन्हें,
क्यों नहीं मिटा दिए समाज के दाग यह||
 
तुम्हारी मर्यादा की यह बातें द्रोपदी,
हमें आज भी सिखाई जाती है| 
और कोई आँख उठा कर अगर हम को देखें,
तो हमारी ही आँख झुकाई जाती है||
तो हमारी ही आँख झुकाई जाती है||

                  - ओजस्वनी शर्मा
                     "मेरे अल्फ़ाज़" हाथरस केस, बलरामपुर केस  और रोजाना  न जाने कितने बलात्कार के केस सामने आ रहे हैं, इसी स्थिति देखते हुए मैंने एक कविता लिखी है जिसको मैंने "द्रौपदी चीरहरण" के प्रकरण से जोड़ा है| 

उस समय जो भी हुआ था उससे यह बताया गया था कि जो कोई भी औरत की मर्यादा को मिटाने की कोशिश करेगा उसका अंत निश्चित है|
पर यह सब हम कहा समझेंगे, हमें तो यह सिखाया गया कि तुम औरत हो अगर किसी ने तुम्हें सब कुछ गलत किया तो तुम उसका प्रतिशोध मत लो, बा की लेंगे तुम अपनी मर्यादा में रहो, इंतजार करो, तुम जाकर किसी को कुछ मत करो|
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#Rape #HathrasRapeCase #Balrampurrapecase #savegirl #saveus

हाथरस केस, बलरामपुर केस और रोजाना न जाने कितने बलात्कार के केस सामने आ रहे हैं, इसी स्थिति देखते हुए मैंने एक कविता लिखी है जिसको मैंने "द्रौपदी चीरहरण" के प्रकरण से जोड़ा है| उस समय जो भी हुआ था उससे यह बताया गया था कि जो कोई भी औरत की मर्यादा को मिटाने की कोशिश करेगा उसका अंत निश्चित है| पर यह सब हम कहा समझेंगे, हमें तो यह सिखाया गया कि तुम औरत हो अगर किसी ने तुम्हें सब कुछ गलत किया तो तुम उसका प्रतिशोध मत लो, बा की लेंगे तुम अपनी मर्यादा में रहो, इंतजार करो, तुम जाकर किसी को कुछ मत करो| ************************* #Rape #HathrasRapeCase #Balrampurrapecase #savegirl #saveus #poem