एक बेनाम लकीर खींची गई, कुछ इस हिस्से आए कुछ दूसरे हिस्से गए, कोई पलड़ा थोड़ा हल्का तो कोई पलड़ा थोड़ा भारी, बिल्कुल इंसाफ के तराजू की तरह, मैं दोनों हिस्सों के बीच आ गया, मेरा समझौता मेरी नियती बन गई, लकीर का आखिरी नोकीला सिरा मेरे सीने के आर पार होते हुए, यादों को धुंधला करते हुए मुझे सुकून की ओर धकेलता गया, सांसों की रफ्तार बढ़ती रही जैसे बुझने से पहले कोई लाैह जलता है एक पल में जहां रौशन करने को, लकीर के अलग अलग नाम रखे गए, मोह, प्रेम, स्नेह, लगाव आदि आदि। #yqbaba #yqdidi #yourquote #yqdada #alineacrosss ➖