.. सजा रहा था वो बताते बीते मुकाम को, सुनता रहा नादां सा मैं महरूम अरमान को.. ..देखें अजब मौज़ू हों हकिकत के आन को, एक से हों हाल मोहताज़ मुरीद के जान को.. .. अज़ीम है वो निभाऐ रिश्ते जो उल्फ़त को, साथ रहे कोई साथ दे हो तशरीह के फ़र्क को.. .. 🌱खुशामदीद..💞 तशरीह माने, भावार्थ, सारगर्भित सोच, अंग्रेज़ी में कहें इंटरप्रेट/interpret.