#आज ठहरकर देखता हू...अब उस खंडहर को, जिसमें अब तू नही ताला हॅसता है मुझ पर,, मगर फिर भी.... #तेरे_घर_को_देखना_कोई_गुनाह_तो_नही।। जो फाड दी थी तुमने....बिन पढे कविता मेरी,, वो कालजयी थी #और_यह_तुम्हे_पता_भी_नही।। हा चल नही देखूगा अब.... गलिया तेरी...ओ #बिंदिया मेरी छुपाकर रखी जो बाॅलिया तेरी,, वो साॅवली सी सूरत खरी,, वो बंद पडी जो घडिया तेरी,, पहला तोहफा...वो अंगूठी मेरी,, सब बिसरा दिया.... पर मेरी कविताओ में जिक्र तेरा मिले,, #इसकी_कोई_सजा_तो_नही।। ~ रांझणा❣ 🥰🥰🥰😍😍😍😍 #reading Roshni Bano