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परदेश में हूँ ईद कैसे मनाऊँगा मैं घर की यादों को क

परदेश में हूँ ईद कैसे मनाऊँगा मैं
घर की यादों को कैसे दिल से भुलाऊँगा मैं!

अम्मी के हाथों की बनी सिवई बहुत याद आती हमें
परदेश उस वक्त आँखो में भर आते अश्क है!

अब्बू जब ईद पर हमें ईदी अपने हाथो से देते थे 
उस ईद को खुशी बेसुमार हो जाती थी!

परदेश में बहनो की जब याद सताती है 
उस वक्त आँखो से अश्को की बौझार हो जाती है!

घर के दरवाजे पर बैठी दिलरूबा के हाथो के कंगन की खनक याद आती है
उसको भी मेरी यादे और मेरी बाते याद आती है !

गाँव मिट्टी की खुश्बु बुलाती है हमें 
मस्जिद की फजर की अजान की खूबसूरत आवाज शुकुन देती है हमें!

अजान की आवाज सुनकर बिस्तर से ना उठना
अम्मी का हमे हाथ पकड़ कर जगाना याद आता है हमें!
परदेश में हूँ मै ईद कैसे मनाऊँगा मैं
Abdul Kadir Raebarelvi 
आप सबको ईद उल फितर की दिली मुबारकबाद!

©Abdul Kadir Raebarlevi Eid

#ramadan
परदेश में हूँ ईद कैसे मनाऊँगा मैं
घर की यादों को कैसे दिल से भुलाऊँगा मैं!

अम्मी के हाथों की बनी सिवई बहुत याद आती हमें
परदेश उस वक्त आँखो में भर आते अश्क है!

अब्बू जब ईद पर हमें ईदी अपने हाथो से देते थे 
उस ईद को खुशी बेसुमार हो जाती थी!

परदेश में बहनो की जब याद सताती है 
उस वक्त आँखो से अश्को की बौझार हो जाती है!

घर के दरवाजे पर बैठी दिलरूबा के हाथो के कंगन की खनक याद आती है
उसको भी मेरी यादे और मेरी बाते याद आती है !

गाँव मिट्टी की खुश्बु बुलाती है हमें 
मस्जिद की फजर की अजान की खूबसूरत आवाज शुकुन देती है हमें!

अजान की आवाज सुनकर बिस्तर से ना उठना
अम्मी का हमे हाथ पकड़ कर जगाना याद आता है हमें!
परदेश में हूँ मै ईद कैसे मनाऊँगा मैं
Abdul Kadir Raebarelvi 
आप सबको ईद उल फितर की दिली मुबारकबाद!

©Abdul Kadir Raebarlevi Eid

#ramadan