Unsplash जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गयी घटती गयी सपनों के महल की मंज़िलें बढ़ता गया बोझ अपनों की खुशियों का जवाबदेही खुद से खुद की! हमने समझा था खेल ज़िंदगी को ज़िंदगी ने ही खिला दिया घायल खिलाड़ी बना दिया सारे सपनों को बुनियाद कर एक रेत का किला चुना दिया 🐦© परिंदा #परिंदा ®🐦 ©परिंदा #snow