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लबों पे आने को बेताब थी, शब्द जो आयतों से चुरा लाय

लबों पे आने को बेताब थी,
शब्द जो आयतों से चुरा लाया था मैं,
शायद मेरे दिल का वो मेहताब थी,,
एक घर बनाना चाहता था तेरे दिल की दीवारों से,
इबादत निकाल के लाया था इन बिछी मजारों से,
तुम सुन तो लेती धड़कनों को मेरी,
चमक उतार के लाता इन बिखरे सितारों से,,
वो जो तुम मुस्कराई थी पलकों को झुका के,
वो जो तुम इठलाई थी जुल्फों को उड़ा के,
इन अदाओं की इक भरी किताब थी,,
कह ना सके तुमसे कुछ,
क्युकी तुम्हारी हां में तो सवाब,
लेकिन तुम्हारी ना में मौतें बेहिसाब थी
छोटी सी बात थी... छोटी सी बात थी...
#छोटीसीबात #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
लबों पे आने को बेताब थी,
शब्द जो आयतों से चुरा लाया था मैं,
शायद मेरे दिल का वो मेहताब थी,,
एक घर बनाना चाहता था तेरे दिल की दीवारों से,
इबादत निकाल के लाया था इन बिछी मजारों से,
तुम सुन तो लेती धड़कनों को मेरी,
चमक उतार के लाता इन बिखरे सितारों से,,
वो जो तुम मुस्कराई थी पलकों को झुका के,
वो जो तुम इठलाई थी जुल्फों को उड़ा के,
इन अदाओं की इक भरी किताब थी,,
कह ना सके तुमसे कुछ,
क्युकी तुम्हारी हां में तो सवाब,
लेकिन तुम्हारी ना में मौतें बेहिसाब थी
छोटी सी बात थी... छोटी सी बात थी...
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