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क्या तुम्हें मेरी कविताओं में अपनी आवाज़ सुनाई पड़ती

क्या तुम्हें मेरी कविताओं में अपनी आवाज़ सुनाई पड़ती है???
सुनो इसे...
ये  नज़र आएंगी पुकारते तुम्हें
बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम पुकारा करते थे मुझें
पूरे हक़ से...
मैंने अपने शब्दों को तुम्हारी ही आवाज़ दी है
ये प्रतिध्वनि हैं तुम्हारे...

sur... प्रतिध्वनि...
क्या तुम्हें मेरी कविताओं में अपनी आवाज़ सुनाई पड़ती है???
सुनो इसे...
ये  नज़र आएंगी पुकारते तुम्हें
बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम पुकारा करते थे मुझें
पूरे हक़ से...
मैंने अपने शब्दों को तुम्हारी ही आवाज़ दी है
ये प्रतिध्वनि हैं तुम्हारे...

sur... प्रतिध्वनि...