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तकनीक कितना फ़ायदेमंद? आज पूरी दुनिया नई तकनीकों

तकनीक कितना फ़ायदेमंद?
आज पूरी दुनिया  नई तकनीकों की तरफ तेज़ी से आकर्षित हो रही है और इसे अपने जीवन में उतार रही है , वहीँ दूसरी ओर इसका दुष्प्रभाव भी तेज़ी से  पड़ रहा है लोगों पर, ख़ास तौर से बच्चों पे । चाहे वो जिस भी उम्र का हो आज हर कोई इससे जुड़ना चाहता है और जुड़ भी रहा है , आज सोशल मीडिया पर हर उम्र के लोग सक्रिय हैं, आज हर कोई अपना समय बचाना चाह रहा है, क्या हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इतने व्यस्त हो गए हैं?  ऑनलाइन मार्केटिंग ने भी एक बड़े तबके को अपना शिकार बनाया है ,इन सब के कई फायदे हैं और नुक्सान भी । आज बच्चा मोबाइल के वीडियो गेम में ज्यादा समय बिताता है जबकि उसे शारिरिक रूप से स्वस्थ रहने वाला खेल खेलना चाहिए इसमें कहीं न कहीं बच्चों से ज्यादा माँ बाप की गलती है मुझे ये समझ नहीं आता की हम बच्चों को क्या बनाना चाहते है बुद्धिमान और तेज़ या मशीन और रोबॉट, ये हमारा समाज किस ओर बढ़ रहा है , इस नयी तकनीकियों ने पूरे समाज को अपना  शिकार बना लिया है ऐसे में बच्चा अपने को आप को इससे जोड़ कर देखने और सोचने लगता है और उसे लगता है कि मेरा भविष्य इसी में है ,और ऐसे में उसकी सोच सकरी होती जाती है ,दिन भर बच्चों पर पढाई का बोझ डालेंगे और शाम को उसके मनोरंजन के लिए उसे नयी तकनीकियों वाला गेम पकड़ा देंगे ,और हम ये भूल जाते हैं बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहना अति आवश्यक है जिसके लिए बंद कमरे से बाहर निकल के खेलना बहुत ज़रूरी है न की दिन  भर तकनीकों से खेलना।नयी तकनीकियां हमारे लिए ज़रूरी होनी चाहिए  हमारी ज़रुरत नहीं।

तकनीक कितना फ़ायदेमंद? आज पूरी दुनिया नई तकनीकों की तरफ तेज़ी से आकर्षित हो रही है और इसे अपने जीवन में उतार रही है , वहीँ दूसरी ओर इसका दुष्प्रभाव भी तेज़ी से पड़ रहा है लोगों पर, ख़ास तौर से बच्चों पे । चाहे वो जिस भी उम्र का हो आज हर कोई इससे जुड़ना चाहता है और जुड़ भी रहा है , आज सोशल मीडिया पर हर उम्र के लोग सक्रिय हैं, आज हर कोई अपना समय बचाना चाह रहा है, क्या हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इतने व्यस्त हो गए हैं? ऑनलाइन मार्केटिंग ने भी एक बड़े तबके को अपना शिकार बनाया है ,इन सब के कई फायदे हैं और नुक्सान भी । आज बच्चा मोबाइल के वीडियो गेम में ज्यादा समय बिताता है जबकि उसे शारिरिक रूप से स्वस्थ रहने वाला खेल खेलना चाहिए इसमें कहीं न कहीं बच्चों से ज्यादा माँ बाप की गलती है मुझे ये समझ नहीं आता की हम बच्चों को क्या बनाना चाहते है बुद्धिमान और तेज़ या मशीन और रोबॉट, ये हमारा समाज किस ओर बढ़ रहा है , इस नयी तकनीकियों ने पूरे समाज को अपना शिकार बना लिया है ऐसे में बच्चा अपने को आप को इससे जोड़ कर देखने और सोचने लगता है और उसे लगता है कि मेरा भविष्य इसी में है ,और ऐसे में उसकी सोच सकरी होती जाती है ,दिन भर बच्चों पर पढाई का बोझ डालेंगे और शाम को उसके मनोरंजन के लिए उसे नयी तकनीकियों वाला गेम पकड़ा देंगे ,और हम ये भूल जाते हैं बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहना अति आवश्यक है जिसके लिए बंद कमरे से बाहर निकल के खेलना बहुत ज़रूरी है न की दिन भर तकनीकों से खेलना।नयी तकनीकियां हमारे लिए ज़रूरी होनी चाहिए हमारी ज़रुरत नहीं।

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