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अब की ये रुख़ हमने इख़्तियार कर लिया है, ज़ुल्म में भ

अब की ये रुख़ हमने इख़्तियार कर लिया है,
ज़ुल्म में भी ख़ामोशी से प्यार कर लिया है।

मेरे हमनफस ही अब बन गए हैं मिरे क़ातिल,
कैसे-कैसे दोस्तों पर एतिबार कर लिया है।

हम किस से करें गिला किस से शिकायत करें,
सुना है कि कानून ने भी दाह-संस्कार कर लिया है।

मुझे यक़ीन है तू ही मेरा इंसाफ करने वाला है,
तेरे हवाले ख़ुद को परवरदिगार कर लिया है।

~हिलाल हथ'रवी











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©Hilal Hathravi #Thinking #Shikayat #Dosti #Kanoon #Etbar
अब की ये रुख़ हमने इख़्तियार कर लिया है,
ज़ुल्म में भी ख़ामोशी से प्यार कर लिया है।

मेरे हमनफस ही अब बन गए हैं मिरे क़ातिल,
कैसे-कैसे दोस्तों पर एतिबार कर लिया है।

हम किस से करें गिला किस से शिकायत करें,
सुना है कि कानून ने भी दाह-संस्कार कर लिया है।

मुझे यक़ीन है तू ही मेरा इंसाफ करने वाला है,
तेरे हवाले ख़ुद को परवरदिगार कर लिया है।

~हिलाल हथ'रवी











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©Hilal Hathravi #Thinking #Shikayat #Dosti #Kanoon #Etbar