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#OpenPoetry रावण तो जला दिया राख से भी खेल लिए प

#OpenPoetry   रावण तो जला दिया
राख से भी खेल लिए
पर उन दरिंदो का क्या? 

उन दरिंदो का क्या
जो खा गए एक और जान को
उन दरिंदो का क्या
जो खा गए एक और मासूम को। 

अरे! एक दफा जलाकर तो देखो

एक दफा जलाकर तो देखो
मशाल अपने सिने मे
और जल जाने दो आज के रावण को उस आग मे। 

लकड़ी के पूतले को कब तक जलाओगे
इस दफा भस्म तो करके देखो इस रावण को
और फिर देखना उस राख की ठंडक को।


                     -दिपान्शा भाटी #OpenPoetry
#OpenPoetry   रावण तो जला दिया
राख से भी खेल लिए
पर उन दरिंदो का क्या? 

उन दरिंदो का क्या
जो खा गए एक और जान को
उन दरिंदो का क्या
जो खा गए एक और मासूम को। 

अरे! एक दफा जलाकर तो देखो

एक दफा जलाकर तो देखो
मशाल अपने सिने मे
और जल जाने दो आज के रावण को उस आग मे। 

लकड़ी के पूतले को कब तक जलाओगे
इस दफा भस्म तो करके देखो इस रावण को
और फिर देखना उस राख की ठंडक को।


                     -दिपान्शा भाटी #OpenPoetry