किताबों में उलझी है ज़िंदगी। ज़माने को क्या देखूं मैं। बिखरे है सारे अरमान। तो ज़िंदगी के पन्ने को क्या देखूं मैं। मोहब्बत का अंजाम पता है मुझे। तो दिल की एहसासों को क्या देखूं मैं। ©Ak #kitaabein