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§ कविता § मन के भीतर कसक ठसक का पेचीदा श्रृंगार

§ कविता §

मन के भीतर कसक ठसक का 
पेचीदा श्रृंगार कविता 

दीन-हीन के पांवों का 
रक्तिम हाहाकार कविता

दिनकर के संग लयबद्ध होकर 
चौमासी मनुहार कविता

निशा की मद्धम शीतलता में
दीपक का उजियार कविता

माता के आंचल में शोभित
ममता का हर तार कविता

पुत्र को पग-पग सम्बल देता
पिता रूप अवतार कविता

धरती की तपती छाती पर 
बूंदों की झनकार कविता

सिंहनाद के जयकारो में
शौर्य रूप तलवार कविता

संघर्षो के कोलाहल में
सम्बल जो परिवार कविता

अस्तित्व लगे हर प्रश्न चिन्ह का
उत्तर है दमदार कविता......!

दुष्यंत कुमार 
उदयपुर

©कुमार_दुष्यन्त #poem #Lines #treanding
§ कविता §

मन के भीतर कसक ठसक का 
पेचीदा श्रृंगार कविता 

दीन-हीन के पांवों का 
रक्तिम हाहाकार कविता

दिनकर के संग लयबद्ध होकर 
चौमासी मनुहार कविता

निशा की मद्धम शीतलता में
दीपक का उजियार कविता

माता के आंचल में शोभित
ममता का हर तार कविता

पुत्र को पग-पग सम्बल देता
पिता रूप अवतार कविता

धरती की तपती छाती पर 
बूंदों की झनकार कविता

सिंहनाद के जयकारो में
शौर्य रूप तलवार कविता

संघर्षो के कोलाहल में
सम्बल जो परिवार कविता

अस्तित्व लगे हर प्रश्न चिन्ह का
उत्तर है दमदार कविता......!

दुष्यंत कुमार 
उदयपुर

©कुमार_दुष्यन्त #poem #Lines #treanding