Nojoto: Largest Storytelling Platform

बदलाव ही बदलने को,मजबूर करता है , नहीं तो कौन अप

बदलाव ही बदलने को,मजबूर  करता है ,
नहीं  तो कौन अपने आप ही इतना बदलता है ।
एक बार सोच तू भी, क्या खामियां तुझमे बनी ,
दिल  से सोचेगा  तो एक  उत्तर  निकलता है ।
मुझको समझाना चाहता है, थोड़ा  तो तू भी समझ ,
प्रिय! आपसी  समझ से  ही रिश्ता संभलता है।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj
  आपसी समझ

आपसी समझ #Poetry

1,621 Views