गीता कहती है, जिसका मन सदा आसक्ति से मुक्त है, जिसने मन और इंद्रियों को वश में कर लिया है, और जो इच्छाओं से मुक्त है, वह त्याग के माध्यम से कर्म से मुक्ति की परम सिद्धि को प्राप्त करता है। ©Pratik B #Ray भगवत गीता