देखता हु जब उसे एक सुकून सा मिलता है जाने क्यों एक अनजान यू अपना सा लगता है । होंठों पर शब्द नही , पर मनन में बातों का समंदर सा उठता है। जाने क्यो एक अनजान से मिलना यू सपना सा लगता है । ज़िन्दगी एक खूबसूरत गीत है उस मंज़िल को पाने का पर जाने क्यों उस अनजान के साथ ये सफर मंज़िल से भी हसीन लगता है । #HindiPoetry #WritersNetwork #अनजान #मोहोब्बत #प्यार