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आज हुई थी बरसात बाहर बूंदें आंखों से गिर रही थी

आज हुई थी बरसात बाहर 
बूंदें आंखों से गिर रही थी 
दूर हो तुम मेरी नजरों से 
दिल तुम्हें हीं ढूंढ रही थी 


छाई थी मायूसी चेहरे पर
शरीर भी खाली खाली लग रहा था
गई जो तुम हमसे दूर 
शरीर का हर रोम रो रहा था


कहता हूं तुझे बार बार 
ख्यालों में तुम मत आओ 
कब्जा किया है तूने इस कदर 
हर धड़कन पर अब सिर्फ याद तेरी आती है 


पता नहीं क्यों, क्या असर हुआ है दिल पर
कोई न दूजा दिखता है 
हुस्न के मेले में जाता भी हूं तो 
हर हुस्न में तेरा चेहरा दिखता है 


तुमसे दूर हो कर 
चेहरा भी हंसना छोड़ दिया 
सब से मिलने की जो खुशी थी 
वो भी शायद भूल गया 

कमरे की बंद दीवारों में 
अकेले रहना सीख लिया 
जीने की जो आदत थी
 वो भी अब भूल गया

©MUSAFIR...…............ ON THE WAY
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