कागज कागज हर्फ सजाया करता है। तनहाई में शहर बसाया करता है। कैसा पागल सख्स है सारी सारी रात दीवारों को दर्द सुनाया करता है। रो देता है ओ अपनी ही बातो पर। और खुद को तन्हाई में हसाया करता है बसाया करता है