हम अजीब बुद्धू हैं , प्रायः नागों को ही दुग्ध पान कराते रहे.विशेष प्रजाति के नागों को पहचान ही नहीं पाते. भला क्यों ? क्योंकि, कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर, बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा लेते हैं.