कमाल है ना! किस्मत सखी नहीं फिर भी रूठ जाती है बुद्धि लोहा नहीं फिर भी जंग लग जाती है आत्मसम्मान शरीर नहीं फिर भी घायल हो जाता है और इंसान मौसम नहीं फिर भी बदल जाता है। ©Dilip Kumar #घायल परिंदा #selflove