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दीदार -ए- यार की ख्वाहिश में तुम्हारी गलियों से हम

दीदार -ए- यार की ख्वाहिश में तुम्हारी गलियों से हम रोज ही गुजरते हैं।
हो जाओगे एक ना एक दिन तुम हमारे इसी चाहत में सजते संवरते हैं।
कभी इससे कभी उससे बात करना तेरी गलियों में आने के बस बहाने हैं,
तेरी ही गलियों और कूचों में मुझे अपने रात-दिन, शाम-ओ-पहर बिताने हैं। #Contest 20  (Hindi/उर्दू)

   💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं,
‌ कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें।

🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें

🎀 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
दीदार -ए- यार की ख्वाहिश में तुम्हारी गलियों से हम रोज ही गुजरते हैं।
हो जाओगे एक ना एक दिन तुम हमारे इसी चाहत में सजते संवरते हैं।
कभी इससे कभी उससे बात करना तेरी गलियों में आने के बस बहाने हैं,
तेरी ही गलियों और कूचों में मुझे अपने रात-दिन, शाम-ओ-पहर बिताने हैं। #Contest 20  (Hindi/उर्दू)

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