कदम कदम पर आजमा रही है। बात बात पर रुला रही है।। ऐ ज़िन्दगी आखिर क्या हुई खता मुझसे, तू क्यों मुझे इस कदर सता रही है।। नही रास आता तुझे मेरा मुस्कुराना। क्यों नही भाता तुझे मेरा खिलखिलाना।। ऐ ज़िन्दगी आखिर क्या हुई खता मुझसे,, क्यों नही छोड़ती तू मुझे सताना।। जो पसंद है मुझे, क्यों तुझे भाता नही। मुझे खुशी में देखकर क्यों तुझसे रहा जाता नही।। ऐ ज़िन्दगी आखिर क्या हुई खता मुझसे, जो तू दर्द इतना देती है कि मुझसे सहा जाता नही।। देख दर्द मुझे भी होता है, भले ही मैं दिखाता नही। आँखें मेरी भी रोती है, बेशक मैं घबराता नहीं।। ऐ ज़िन्दगी आखिर क्या हुई खता मुझसे, कि तू इस कदर दर्द देती है, जो मैं सह पाता नही।। निसार मलिक