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निकले प्रभात की किरणें रजनी के जब आंगन में मन मच

निकले प्रभात की किरणें 
रजनी के जब आंगन में 
मन मचल उठे तन मेरा 
लहराऐ खुले गगन में 
दुःख से ही है मेरा रिश्ता 
संकट के है दिन मेरे 
उपहास उड़ाती ये दुनियां
सब किस्मत के है ये फेरे।

©Madhu Chandra
  #lily