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चेहरे पर तेज ऐसा, विष्णु के  चक्र जैसा। आंखों में

चेहरे पर तेज ऐसा,
विष्णु के  चक्र जैसा।
आंखों में अग्नि,
मानो महाकाल की करनी।
जनेऊ धारी मूछों पर ताव,
सरल था उस युवक का भाव।
हे वीर तुम आजाद हो आजाद थे और आजाद ही रहे,
तुम्हारी शौर्य गाता हरदम युवाओं में जोश भरते रहे।
सूर्य का प्रकाश बने तुम,
चंद्र सा उजास बने तुम।
इस उजड़े हुए गुलशन के,
गुल बने तुम।
जन्मे इस मिट्टी पर हमारे लिए,
आजादी का पाठ पढ़ाकर शहीद बने तुम।
हे वीर पुरुष क्या वीरगाथा लिखूं तुमपर,
गुलामों की तरह जी रहे हम तुम तो मरे भी आजाद बनकर।
हाथों की पिस्टल कनपटी पर रखा,
अपनी अंतिम गोली पर अपना ही नाम लिखा।
बोले तुम गुलामी की बेड़ियों में मैं नहीं रहूंगा,
अपने हाथों मरना मंजूर लेकिन मैं तानाशाही नहीं सहूंगा। 

"मित्रों आप को आजाद की आजादी मुबारक हो,
राष्ट्रीय हित के लिए जन्मे राष्ट्रपुत्र की जन्मतिथि मुबारक हो" #rashtraputra_Azad(shradhanjali)
चेहरे पर तेज ऐसा,
विष्णु के  चक्र जैसा।
आंखों में अग्नि,
मानो महाकाल की करनी।
जनेऊ धारी मूछों पर ताव,
सरल था उस युवक का भाव।
हे वीर तुम आजाद हो आजाद थे और आजाद ही रहे,
तुम्हारी शौर्य गाता हरदम युवाओं में जोश भरते रहे।
सूर्य का प्रकाश बने तुम,
चंद्र सा उजास बने तुम।
इस उजड़े हुए गुलशन के,
गुल बने तुम।
जन्मे इस मिट्टी पर हमारे लिए,
आजादी का पाठ पढ़ाकर शहीद बने तुम।
हे वीर पुरुष क्या वीरगाथा लिखूं तुमपर,
गुलामों की तरह जी रहे हम तुम तो मरे भी आजाद बनकर।
हाथों की पिस्टल कनपटी पर रखा,
अपनी अंतिम गोली पर अपना ही नाम लिखा।
बोले तुम गुलामी की बेड़ियों में मैं नहीं रहूंगा,
अपने हाथों मरना मंजूर लेकिन मैं तानाशाही नहीं सहूंगा। 

"मित्रों आप को आजाद की आजादी मुबारक हो,
राष्ट्रीय हित के लिए जन्मे राष्ट्रपुत्र की जन्मतिथि मुबारक हो" #rashtraputra_Azad(shradhanjali)