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शदीद सफ़र है मौत का,बदन नहीं आ सकते... फ़क़त तुम ख

शदीद सफ़र है मौत का,बदन नहीं आ सकते...
फ़क़त तुम खुशबू भेज दो,चमन नहीं आ सकते..।

कि,गाँव ने शहर से दूर,कुछ उसूल पाले हैं...
दरीचे घर छोड़ भी दे,सहन नहीं आ सकते..।

एक रात अंधॆरे ने हमें यूं बद्दुआ दी...
तुम चाँद भी हो तो धूप पहन नहीं आ सकते..।

हमारी जगह अब के तुम किसी और को रख लो...
फ़ासलॆ ऎसे हुए दफ़अतन नहीं आ सकते..।

इन पागल को ‘ख़ब्तुल’, सरहदें सौंप देते हैं...
मैं जहां रहता हूँ वहां वतन नहीं आ सकते..।



         - ख़ब्तुल
     संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 बद्दुआ
शदीद सफ़र है मौत का,बदन नहीं आ सकते...
फ़क़त तुम खुशबू भेज दो,चमन नहीं आ सकते..।

कि,गाँव ने शहर से दूर,कुछ उसूल पाले हैं...
दरीचे घर छोड़ भी दे,सहन नहीं आ सकते..।

एक रात अंधॆरे ने हमें यूं बद्दुआ दी...
तुम चाँद भी हो तो धूप पहन नहीं आ सकते..।

हमारी जगह अब के तुम किसी और को रख लो...
फ़ासलॆ ऎसे हुए दफ़अतन नहीं आ सकते..।

इन पागल को ‘ख़ब्तुल’, सरहदें सौंप देते हैं...
मैं जहां रहता हूँ वहां वतन नहीं आ सकते..।



         - ख़ब्तुल
     संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 बद्दुआ