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रह गईं ख़ामोश नज़रे, लफ्ज़ भी चुप ही रहे हमने अपनी

रह गईं ख़ामोश नज़रे, लफ्ज़ भी चुप ही रहे
हमने अपनी ग़ज़ल में दिल का फसाना लिख दिया
हक़ हमारा भी कभी था ,मगर मांगा हक़ से जो
नाम उसके दिल का अपने आशियाना लिख दिया
पलकों में छिप करके आंसू गिरते गिरते रह गए
हमने अपनी इस अदा को मुस्कुराना लिख दिया

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  #sunlight gajal
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