कदमों को पीछे खींचना रस्ता-ए-मंजिल से रोज की बात है। दिखाना दूजे को नीचा,खुद को जताना महान रोज की बात है। खुद को बेचकर कमाना पत्थरों का प्यार,रोज की बात है। गुजरती हूँ हर रोज उसकी तंग-दिल गलियों से। उसका हँसकर मुँह मोड़ना,रोज की बात है। है सितमगर जिंदगी तो हर एक के लिए। खुद उठाना अपने ख्वाबों का जनाजा रोज की बात है। माना कि कल की फिकर बहुत आम बात है, जोड़ना कतरा-कतरा 'मनमर्जियां' रोज की बात है।" ©Akanksha jain #रोज़ #बात #writer #Nojoto #nojotowriters #NojotoWriter #LostTracks