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कुछ-कुछ भीतर से रूठा है कुछ सच्चा है, कुछ झूठा है

कुछ-कुछ भीतर से रूठा है 
कुछ सच्चा है, कुछ झूठा है
जो "मेरा" था, वो "मै" ना था
सब पाया है। सब छूटा है।
                     धीरेन्द्र सिंह

©Dev Bana1117 #bye2020 #last day
कुछ-कुछ भीतर से रूठा है 
कुछ सच्चा है, कुछ झूठा है
जो "मेरा" था, वो "मै" ना था
सब पाया है। सब छूटा है।
                     धीरेन्द्र सिंह

©Dev Bana1117 #bye2020 #last day
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