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भुला के नीदं अपनी सुलाया हमको, गिरा के आंसु आपने

भुला  के नीदं अपनी सुलाया हमको,
गिरा के आंसु आपने हंसाया हमको,
दर्द कभी ना देना उनको,
ऐ खुदा 
खुदा ने पिता बनाया जिनको ...


मेरी  परवरिश मे मेरे पिता हाथ सबसे ज्यादा है,
तभी आज तक मैरे अन्दर अभी भी बचपन 
जिन्दा है...
 

मंजिल दूर और सफर बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की,
हमै लेकिन  'पापा '  के प्यार मै असर बहुत  था...



मां से बडा हमदर्द ओर, 
पिता से बडा हमसफर 
ओर कोई नही हो सकता ।..



मांग लूं मै रब से मन्नत की ,
फिर वही जन्नत ओर जहा मिले,
फिर वही प्यार वही गोद़ ,
ओर हर जन्म मै वही मां फिर,
फिर वही  मां मिले..


 मां पिता का पैर छूने का मजा ही,
कुछ ओर है,
जितना निचे झुकता हुं,
उतना ही ऊपर उठता हुं...


शहर से अच्छा तो आपना  गांव ही है,
जहां लोग मकान नबंर से नही ,
अपने पिता के नाम से पहचाने ,
जाते है...



हम ने चखे है ना जाने कितने जायके,
महंगे-महंगे की,
पर मां के हाथ के बने वो रोटी सारे 
महंगे पकवान पर भारी ...
   मां....

©Sanjeev Suman #mummydaddy
#nojatohindi 
#momdadlove
भुला  के नीदं अपनी सुलाया हमको,
गिरा के आंसु आपने हंसाया हमको,
दर्द कभी ना देना उनको,
ऐ खुदा 
खुदा ने पिता बनाया जिनको ...


मेरी  परवरिश मे मेरे पिता हाथ सबसे ज्यादा है,
तभी आज तक मैरे अन्दर अभी भी बचपन 
जिन्दा है...
 

मंजिल दूर और सफर बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की,
हमै लेकिन  'पापा '  के प्यार मै असर बहुत  था...



मां से बडा हमदर्द ओर, 
पिता से बडा हमसफर 
ओर कोई नही हो सकता ।..



मांग लूं मै रब से मन्नत की ,
फिर वही जन्नत ओर जहा मिले,
फिर वही प्यार वही गोद़ ,
ओर हर जन्म मै वही मां फिर,
फिर वही  मां मिले..


 मां पिता का पैर छूने का मजा ही,
कुछ ओर है,
जितना निचे झुकता हुं,
उतना ही ऊपर उठता हुं...


शहर से अच्छा तो आपना  गांव ही है,
जहां लोग मकान नबंर से नही ,
अपने पिता के नाम से पहचाने ,
जाते है...



हम ने चखे है ना जाने कितने जायके,
महंगे-महंगे की,
पर मां के हाथ के बने वो रोटी सारे 
महंगे पकवान पर भारी ...
   मां....

©Sanjeev Suman #mummydaddy
#nojatohindi 
#momdadlove