हर इक खुशी में मेरी तुम शुमार हो मेरे हर एक ग़म में तुम्हीं ...हिस्सेदार हो मेरे मैं चाहता हूँ दोस्ती को नया नाम दो तुम कभी क़ुबूल तो करो कि "यार" हो मेरे --प्रशान्त मिश्रा "यार हो मेरे"