कहांँ से लाऊंँ वो लफ़्ज़ जो सिर्फ़ तुम्हें सुनाई दे। दुनिया देखे चांँद को मुझे तू सिर्फ़ दिखाई दे। चांँद भी तन्हाई में हैरत में देखे दरिया है परेशानी में। अक्स आधा अधूरा किसका है ये दिखे जो पानी में। ज़िन्दगी बिन तेरे अमावस की रात और तन्हाई में। चांँद भी दूर आसमांँ में चांँदनी बिन डूबा दुःख के गहराई में। चांँदनी चांँद की होती है तो मचलता मेरा दिल है। जो तेरी याद आई तो संभालना मुझे अपने दिल को पड़ता है। चांँद तो हर रात अपनी चांँदनी को निहारता है। उसे क्या मालूम हर रात कोई चकोर प्यासा रह जाता है। पूछो कभी चांँद से गवाह है मेरे हर तन्हाई का। सिसकते हैं हम हर रात अपनी इस जुदाई में। तूने देखा नहीं मुंड कर मुझे छोड़ने के बाद। क्या तुम्हें मेरी याद कभी नहीं आई मेरे जाने के बाद। हर तन्हा रातों में तकिए से रोते हैं हम। दिल का हर राज़ चांँद से कहते हैं हम। ♥️ Challenge-910 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।