यूँ किनारों पे रह के, मिलना कुछ था ही नहीं ये जानते हुये भी, मेने कुछ बदला भी नहीं सोचा की समंदर में उतर, मैं उसे ढूंढ लाऊ मगर इन किनारों को अकेला छोड़, मैं कहाँ जाऊ #Palash_ki_Talash #ravikirtikikalamse #ravikirti_shayari #todaysshayari #poetry