मानो तो भावनाए, ना मानो तो खेल... इंसान बातो ही बातो में बहुत कुछ कह जाता है और कुछ बातो से भावनाए भी छलकती है पर हाँ कभी कभी वो खेल का हिस्सा भी होती है भावनाए सच्चे दिल से है या छल कपट ये भी समझना बेहद जरूरी सा हो गया है हाँ इंसान भावनाओ में बह जाता है कई बार पर ये भी समझना चाहिए कि कहाँ सही होता दुनिया मे कई धोखेबाज घूम रहे है सावधान रहें और कई सच्ची भावनाओ वाले है उनकी कदर करे कभी भी किसी प्रकार की तकलीफ नही होगी ©Parth Vasvani #लब्ज_ए_पार्थ