लोकडाउन में घर पर रहकर अपने भीतर गम को सहकर तन्हाई में जीना में सीख गया अपने आंसुओ से जीत गया अब कोई दर्द नही सताता है, रातों को वो नही रुलाता है, दर्द में मर्द बनना सीख गया तन्हाई में जीना में सीख गया घर पे रहा ये जिंदगी घूम गई, हरपल की यादे आज घूम गई, कौन अपना है,कौन पराया है कोविड19 से ये बात दिख गई जिनको अपना माना, उन्होंने ठुकरा दिया आज सत्य को समझ गया तन्हाई में जीना में सीख गया अब नही बांधना है,पाप पले, ये हक़ीक़त अब समझ गया इस लोकडाउन से अब, में अपना सत्य समझ गया इस कोविड19 के आक्रमण से, में अपनो को अच्छा समझ गया कोई नही देगा साथ हमारा, हर मुसीबत से लड़ना सीख गया इस कोरोना के विपत्ति काल मे लहूं के पानी बनने के साल में अपना अच्छा-बुरा समझ गया तन्हाई में जीना में सीख गया दिल से विजय लोकडाउन की तन्हाई