खफा सी है लहरे अब शायद मोड हवाओके बदल गये। जिनकी राह में नजरे थमाये बैठे थे हम, वो हमसे नजरे चुकाकर निकल गये। यु भरोसा था उनपर जो, शायद ही कभी खुदपर किया होगा। हम तो सर उठाकर जिने वालों मे से थे, वो हमारी गर्दन ही झुकाकर निकल गये।